द नगर न्यूज़:- अगरबत्ती का इस्तेमाल लगभग हर घर में सुबह-शाम किया जाता है। पूजा-पाठ के अलावा घर को महकाने के लिए भी कई लोग इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके इस्तेमाल से मन को शांति मिलती है क्योंकि इसकी खुशबू काफी अच्छई लगती है। हालांकि इसका सेहत पर भी प्रभाव पड़ता है। आइए जानते हैं सेहत को कैसे प्रभावित करता है अगरबत्ती का इस्तेमाल।
लगभग हर घर में रोजाना अगरबत्ती का इस्तेमाल किया जाता है। आमतौर पर लोग पूजा-पाठ के लिए इसका इस्तेमाल करते हैं। इसके अलावा कुछ लोग को महकाने और सुगंधित करने के लिए भी इसकी मदद लेते हैं। इन दिनों इसकी डिमांड काफी बढ़ चुकी है, जिसके चलते बाजार में अब कई तरह की खूशबू वाली अगरबत्ती मिलने लगी हैं। इनके इस्तेमाल से मानसिक रूप से बड़ी शांति मिलती है, क्योंकि ये माहौल को एक अच्छी खुशबू से भर देता है, लेकिन शारीरिक रूप से ये अगरबत्ती सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है। आइए जानते हैं अगरबत्ती के कुछ फायदे-
कैसे बनती है अगरबत्ती?
अगरबत्ती एरोमेटिक से बनी हुई स्टिक होती है। ये एरोमेटिक नेचुरल या सिंथेटिक दोनों प्रकार के हो सकते हैं। इसमें कुछ ज्वलनशील पदार्थ भी होते हैं, जो लकड़ी या लकड़ी के पाउडर से बने होते हैं और कोन शेप में मिलते हैं। इसे आमतौर पर धूपबत्ती कहते हैं।
अगरबत्ती के सेहत पर प्रभाव
अगरबत्ती के जलने पर फॉर्मल्डिहाइड, बेंजीन, टॉल्यूइन, जाइलन जैसी गैस और हानिकारक पर्टिकुलेट मैटर निकलते हैं। 2008 में हुए एक शोध के अनुसार ये पर्टिकुलेट की मात्रा सिगरेट से निकलने वाले धुएं से 4.5x अधिक होती है। इसका ये मतलब नहीं है कि अगरबत्ती सिगरेट से ज्यादा खतरनाक है, क्योंकि ये मात्र पर्टिकुलेट की मात्रा पर हुए शोध का परिणाम है।
पर्टिकुलेट मैटर पर रिसर्च किया गया तो ये पाया गया कि अधिकतर पर्टिकुलेट फाइन या एक्स्ट्रा फाइन कैटेगरी में आता है। ये साइज सबसे अधिक टॉक्सिक होते हैं, क्योंकि ये लंग्स और ब्लडस्ट्रीम में आसानी से घुस जाते हैं और अंदर गहराई तक अपनी जगह बना लेते हैं। इससे रेस्पिरेटरी सिस्टम में कई प्रकार की बीमारियां घर करने लगती हैं।
लंबे समय तक अधिक अगरबत्ती के संपर्क को कार्डियोवैस्कुलर मॉर्टलिटी से भी जोड़ कर देखा जाता है यानी इससे हार्ट संबंधी मौत भी संभव है।
अगर घर में पहले से ही कोई रेस्पिरेटरी सिस्टम की समस्या से पीड़ित है, किसी को अस्थमा है या फिर किसी को कैंसर है, तो बेहतर यही होगा कि ऐसे में अगरबत्ती का इस्तेमाल न ही करें।
अगरबत्ती जलाना अगर जरूरी भी है तो खिड़कियां खोल कर वहीं आसपास इसे लगाएं, जिससे खुली हवा में मिलकर इसके हानिकारक गैस का असर कुछ कम हो जाए। वैसे भलाई इसी में है कि अगरबत्ती का इस्तेमाल न ही करें।
अगरबत्ती जलने पर सिरदर्द, सर्दी-खांसी, जुकाम, आंख नाक से पानी, एलर्जिक रिएक्शन और गले में खराश जैसी समस्याएं ट्रिगर हो सकती हैं। ये कैंसर, सीओपीडी, न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर ट्रिगर करने के साथ कार्डियोवैस्कुलर हेल्थ पर भी अपना नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।