द नगर न्यूज़ रतनगढ़:- राजस्थान में पहले चरण के मतदान के बाद भाजपा-कांग्रेस नेता वोट प्रतिशत को लेकर गुणा- भाग में जुटे हैं। मतदान में गिरावट से कांग्रेसियों में इस चरण की आधी सीटों को लेकर उत्साह का माहौल दिख रहा है। वहीं भाजपा नेता चार से पांच सीटों को लेकर कुछ चिंतित नजर आ रहे हैं। दोनों ही दलों के रणनीतिकार बूथवार आंकड़े जुटा रहे हैं। हालांकि नतीजे 4 जून को आएंगे।
भाजपा मान रही चार सीटें कमजोर:-
प्रदेश में बारह लोकसभा सीटों पर मतदान हो चुका है। इन बारह सीटों में से चार सीटों को भाजपा सबसे कमजोर मानकर चल रही है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जिलेवार जो आंकलन आया है, उसमें यही निकल कर आया है कि पार्टी के कार्यकर्ता और संगठन के प्रमुख पदाधिकारियों के बीच समन्वय की कमी रही। इस कमी के चलते वोटर्स को घर से बाहर निकालने में भाजपा पूरी तरह से कामयाब नहीं हो सकी।
एक भाजपा नेता के अनुसार झुंझुनूं, दौसा, सीकर, भरतपुर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी कड़ी टक्कर में फंस गए हैं। ये सीटें पार्टी ने सबसे कमजोर मानी हैं। झुंझुनूं में तो कई विस सीटों पर मतदान में भारी गिरावट रही है, वहीं भरतपुर के मेव क्षेत्र में शामिल कामां में बढ़े मतदान प्रतिशत ने भाजपा की चिंता बढ़ाई है। पार्टी नागौर, चूरू, करौली- धौलपुर, श्रीगंगानगर सीट को भी टक्कर में मानकर चल रही है। लेकिन पार्टी को उम्मीद है कि ये दोनो सीटें कम मार्जिन से ही सही, जीत जाएंगे। बीकानेर, जयपुर सीट पर पार्टी सर्वाधिक मतों से जीत की उम्मीद कर रही है।
कांग्रेस बता रहे छह सीट मजबूत:-
पहले चरण के मतदान के बाद प्रदेश कांग्रेस के नेताओं में उत्साह का माहौल दिख रहा है। मतदान के बाद से समीक्षा में जुटे कांग्रेसी पहले चरण की 12 में से आधी सीटों पर अपनी स्थिति मजबूत मानकर चल रहे हैं। कांग्रेस के वॉररूम में लगातार लोकसभा क्षेत्र और उनके विधानसभा क्षेत्रों के बूथों पर हुए मतदान के आंकड़े जुटाए जा रहे हैं।
कांग्रेस के रणनीतिकार दौसा, झुंझुनूं, चूरू, सीकर, भरतपुर और श्रीगंगानगर लोकसभा क्षेत्र में अच्छी स्थिति होने का दावा कर रहे हैं। वहीं नागौर, करौली- धौलपुर, अलवर में सीधा कांटे का मुकाबला होने का दावा कर रहे हैं। कांग्रेसियों की मानें तो मतदान प्रतिशत में गिरावट को वे अपने पक्ष में ही देख रहे हैं। वहीं भरतपुर के मेवात क्षेत्र में हुई बंपर वोटिंग को भी पार्टी खुद के पक्ष में मानकर चल रही है, तो कहीं जातियों के कॉम्बिनेशन को भी फायदे के रूप में देखा जा रहा है।