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राजस्थान में प्रथम चरण के चुनाव की रहस्यमई सीटों का राज, जाने कहा कोन मार सकता है बाजी, जुड़े रहे द नगर न्यूज की लोक सभा चुनाव परिणाम की खास पेशकश में

द नगर न्यूज़:- लोक सभा चुनाव के परिणाम का इन्तजार खत्म राजस्थान के आने वाले चुनावी नतीजों का मतदाता बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं और कल यह इन्तजार खत्म हो जायेगा। राजस्थान की कुछ सीटें इस प्रकार फंसी हुई है जिसका अंदाजा लगा पाना मुश्किल हैं।

राजस्थान में कांग्रेस ने तीन सीटों जिसमें सीकर में CPIM, नागौर में RLP और BAP के साथ गठबंधन किया है।

पहले चरण में हुऐ मतदान में कहा – कौन है भारी

  1. श्री गंगानगर – हनुमानगढ़
    इस सीट पर BJP से प्रियंका बेलान बनाम कांग्रेस से कुलदीप इंदौरा है और यहां भाजपा ने नया चहरा उतार कर कांग्रेस को बड़ा झटका दिया है। यहां बॉर्डर एरिया, सीमा सुरक्षा, राष्ट्रीयता होने से मोदी नाम का भी बहुत फर्क नजर आयेगा। कांग्रेस को गुटबाजी का सामना भी करना पड़ सकता है क्योंकि यहां टिकट के दावेदार कांग्रेस छोड़ भाजपा में शामिल हो गए थे। यहां भाजपा का पलड़ा भारी नजर आ रहा हैं।

बीकानेर लोकसभा क्षेत्र

बीकानेर लोक सभा सीट चुनाव पर भाजपा से 3 बार सांसद और 2 बार मंत्री रहे अर्जुनराम मेघवाल व कांग्रेस से राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री गोविंदराम मेघवाल के बीच है। भाजपा से अर्जुनराम मेघवाल ने 400 पार के नारे को बुलन्द करते हुए अपने पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं को विश्वास दिलाया। इसके साथ बीकानेर बॉर्डर एरिया होने के कारण राष्ट्रीयता, राम मंदिर, धारा 370 हटाने, सीमा सुरक्षा के मुद्दे से अर्जुनराम को फायदे मिल सकते है।इंडिया गंठबंधन से कांग्रेस प्रत्याशी राजस्थान सरकार से पूर्व मंत्री रहे गोविंदराम मेघवाल ने कांग्रेस को वोट देने की अपील करते हुऐ हाथ बदलेगा हालात के नारे को बुलन्द किया। फिर भी कहीं न कहीं लग रहा है की गोविंदराम पर अर्जुनराम की रणनीति भारी पड़ सकती है।

चुरु
लोक सभा चुनाव 2024 में वैसे देखें तो राजस्थान की 25 सीटों का जिक्र केन्द्र तक हो रहा है परन्तु राजस्थान की कुछ चुनिंदा सीटों में से एक सीट है चुरू। जहां भाजपा से देवेन्द्र झाझड़िया बनाम कांग्रेस से राहुल कस्वां की लड़ाई के शिकार बने भाजपा के दिग्गज नेता राजेंद्र राठौड़ क्योंकि उन्होंने राहुल कस्वां की टिकट कटने के बाद कस्वां को जयचंद कह कर चुनावी विवाद को हवा दे दी। चुरू सीट का चुनाव तो राहुल बनाम देवेंद्र के बिच हैं। बता देवें की यहाँ से राहुल कस्वां भाजपा से 2 बार और उनके पिता रामसिंह कस्वां यहां से 4 बार सांसद रह चुके हैं लेकिन इस बार राहुल की भाजपा से टिकट कटने से राहुल ने कांग्रेस को स्वीकारा और कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार बने।
भाजपा ने नए चेहरे के साथ पैरा ओलिंपियन देवेंद्र झाझड़िया को उतारा है। यहां भाजपा का पूरा कैंपेन राठौड़ ने संभाला। ओर राठौड़ भी सभी चुनावी सभाओं में राहुल को ललकारते रहें। देवेंद्र को साफ छवि का फायदा मिल सकता है। साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एक वीडियो में झाझड़िया को अपना चहेता बताया जिससे मोदी फैंस भी झाझड़िया को चाहने लगे है। जाट वोट बैंक सबसे बड़ा है। यहां चुनाव में जाट-राजपूत ध्रुवीकरण भी देखने को मिला। इस सीट पर कस्वां-झाझड़िया के बीच अच्छी खासी टक्कर है। लेकिन जहां तक देखा जाए राहुल का पलड़ा अभी तक भारी नजर आ रहा है

झुंझुनू
झुंझुनू के चुनावी रण में शीश राम ओला के नाम से पहचाने वाली सीट पर इस बार कांग्रेस के अधिकृत उम्मीदवार उनके बेटे विधायक बिजेंद्र ओला बनाम भाजपा से शुभकरण चौधरी हैं। यहां जाटों का समर्थन ओला की ओर खासा दिख रहा है सांसद नरेंद्र कुमार का टिकट कटने से भाजपा के समर्थन नाराज लग रहे है और यहां बिजेंद्र ओला का पलड़ा भारी लग रहा है।

सीकर
यहां कांग्रेस ने CPIM से गठबंधन किया और माकपा से अमराराम को अपना उम्मीदवार बनाया है। भाजपा से स्वामी सुमेदानंद सरस्वती को उम्मीदवार बनाया गया और यहां अमराराम के साथ कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष गोविंदसिंह डोटासरा ने भी खासी महनत की है। इसको देखते हुए अमराराम मजबूती की ओर बढ़ रहे है। 2 बार से सांसद स्वामी सुमेदानंद सरस्वती को नुकसान देखना पड़ सकता है।

जयपुर शहर
इस सीट पर भाजपा से मंजू शर्मा बनाम कांग्रेस से प्रतापसिंह खाचरियावास है यह पूर्ण रुप से शहरी सीट होने के कारण यहां राम मंदिर, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाना, राष्ट्रीयता जैसे बड़े स्तर के मुद्दे अधिक प्रभावी हैं, जो बीजेपी को फायदा दे सकते हैं। जयपुर शहर की सीट पर हिन्दू-मुस्लिम वोटों का ध्रुवीकरण भी देखा जा सकता है। राम मंदिर मुद्दा भी बीजेपी को फायदा दे रहा है। शहरी वोटर बीजेपी के पक्ष का माना जाता है। यहां कांग्रेस का पलड़ा खासा कमजोर नजर आ रहा है।

जयपुर ग्रामीण

यहां कांग्रेस के कैबिनेट मंत्री लालचंद कटारिया ने चुनाव से ठीक पहले ही भाजपा का दामन थामा था उसका भाजपा को कही न कही फायदा मिल सकता है यहां भाजपा से राव राजेंद्र सिंह बनाम कांग्रेस से युवा अनिल चोपड़ा के बीच चुनाव लड़ा जा रहा है। भाजपा का पलड़ा कांग्रेस पर भारी पड़ सकता हैं क्योंकि कांग्रेस के कटारिया का इस समय कांग्रेस को छोड़ कर जाना काफी नुकशानदेय हो सकता है।

अलवर
यहां यादव बनाम यादव की टक्कर नजर आ रही है यहां भाजपा से भूपेंद्र यादव बनाम कांग्रेस के युवा ललित यादव है। जहा शहर में भूपेंद तो ग्रामीण में ललित की मजबूती दिखाई दे रही है यहां तीसरे पक्ष के रुप में बसपा से फजल हुसैन खड़े है हुसैन की एससी एसटी के वोटो पर ज्यादा पकड़ बताई जा रही है तो देखते है किसको नुकसान होता है और कौन बाजी मारता है।

भरतपुर
यहां पर टक्कर का मामला हो सकता है। भाजपा से रामस्वरूप कोली बनाम कांग्रेस से संजना जाटव हैं। जाति गत वोटो के आधार पर बंटी हुई सीटों में से यह एक है। यहां कोली समाज से जाटव समाज के वोट ज्यादा है परन्तु अब इस सीट का नतीजा OBC पर आधारित है देखें क्या नतीजा रहता है। इस टक्कर मे देखते है कौन बाजी मारेगा।

करौली – धौलपुर
यहां भी जाटव बनाम जाटव की टक्कर देखने को मिल रही है। भाजपा से इंदु देवी जाटव बनाम कांग्रेस से भजनलाल जाटव है इस क्षेत्र में गुर्जर वोट भी है जो कांग्रेस के पक्ष में दिखाई दे रहे है तो जनरल वोट बैंक भाजपा के पक्ष में नजर आ रहा है। दोनो प्रत्याशी की अच्छी टक्कर है।

दौसा
इस सीट पर कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है कयोंकि यहां पर कांग्रेस ने भाजपा पर आरक्षण खत्म करने की साजिश का आरोप लगाया, यह एससी-एसटी वोटर्स में बड़ा मुद्दा बना, जिससे बीजेपी को नुकसान हो सकता है। यहां भाजपा के बड़े मुद्दे राम मंदिर जैसे अन्य कई मुद्दे दब गए है और कांग्रेस मजबूत नजर आ रही है यहां पर भाजपा से कन्हैयालाल मीणा बनाम कांग्रेस से मुरारीलाल मीणा हैं।

नागौर

राजस्थान के युवाओं की आंख नागौर सीट पर
यह सीट बहुत उलटफेर सीट है जिसमें RLP के उम्मीदवार हनुमान बेनीवाल जो इंडिया गंठबंधन से चुनाव लड़ रहे है बेनीवाल ने इसी सीट से 2019 में भाजपा गठबंधन से चुनाव लड़ा और सांसद बने थे और भाजपा की उम्मीदवार ज्योति मिर्धा जो पिछला चुनाव हनुमान से हार चुकी है और अब टक्कर चल रही है जहा हनुमान को कांग्रेस के वोटों का सहारा मिल रहा है तो ज्योति को लगातार हार का सामना करने से सहानुभूति मिल रहीं है यहाँ पर भी मामला टक्कर का लग रहा हैं।

नोट:- यह अनुमान है दावा नहीं

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