दी नगर न्यूज़ श्रीडूंगरगढ़:- कालकाजी भूमिहीन कैंप की संकरी गलियों के बीच बने झुग्गियों में रहने वाले 53 साल के बाल सिंह सफारी सूट पहनकर विज्ञान भवन जाने के लिए तैयार थे। वे बेहद खुश थे, क्योंकि जिस फ्लैट को पाने की बातें 1991 से सुन रहे थे, वह अब उन्हें मिलने जा रहा है। यह खुशी सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि यहां रहने वाली पवित्रा दास के अलावा रंगोलाल दास की भी है। अब वह झुग्गियों से निकलकर फ्लैट में जाएंगे। कुल 575 लोगों को बुधवार को फ्लैट का आवंटन किया गया है।
रंगोलाल दास बताते हैं कि 1978 में वे परिवार के साथ यहां आएं थे। तब से यहीं रह रहे हैं। इलाके में दुकान चलाते हैं। उन्होंने कहा कि हमने पहली बार 1991 में फ्लैट मिलने की बातें सुनी थीं। उस समय यहां भूमिहीन कैंप में आग लगी थी, जिसमें 12 बच्चों की मौत हुई थी। तब से पप्पनकलां, कालकाजी के अलावा कहीं न कहीं फ्लैट बनने की बातें हो रही थीं। अब फ्लैट मिलने जा रहा है तो खुशी है। यहीं रहने वाले सुभाष जो मजदूरी कर जीवन यापन करते हैं ने बताया कि उन्हें कभी उम्मीद नहीं थी टाइल लगे फ्लैट में रहेंगे। उनका कहना था कि अब नए घर में परिवार के साथ रहूंगा।
पवित्रा दास भी आसपास फ्लैटों में काम कर जीवनयापन करती हैं। उनसे पूछा कि फ्लैट में जाकर पहले क्या करेंगी तो मुस्कुराते हुए कहा कि पूजा करेंगे और सभी को मिठाई खिलाएंगे। हालांकि, उन्हें दुख इस बात का भी है कि लोग छूट जाएंगे, क्योंकि भूमिहीन कैंप के अभी सभी लोगों को फ्लैट नहीं मिला है। बताया जा रहा है कि धीरे-धीरे कई चरणों में लोगों को फ्लैट का आवंटन होगा। कुंती मंडल की अलग चिंता है। वह कहती हैं कि फ्लैट मिलने की खुशी है, इसलिए 1.47 लाख रुपये जमा करा दिया।
लाभार्थियों ने क्या कहा
फ्लैट अलॉटी रंगोलाल दास ने कहा, ‘मैं भूमिहीन कैंप कालकाजी में 1978 से रह रहा हूं। एक बार यहां आग की घटना में कई बच्चे मर गए थे। उसके बाद 1991 से फ्लैट देने की बात चल रही थी। अब 32 साल बाद यह मिलने जा रहा है।’
फ्लैट अलॉटी मुन्नालाल ने कहा, ‘भूमिहीन कैंप में मैं 19 साल से रह रहा हूं। यहां मेरा अपना मकान है। मजदूरी कर जीवनयापन करता हूं। फ्लैट के बारे में कभी सोचा नहीं था। अब उसमें रहने का सपना पूरा हो रहा है तो खुशी हो रही है।’
फ्लैट अलॉटी बाल सिंह ने कहा, ‘झुग्गी में वर्षों रहने के बाद फ्लैट में जाने की खुशी तो होती ही है। बस इतना लंबा इंतजार ना करना पड़ता, तो अच्छा होता। मैं यहां 1977 से रह रहा हूं। अब 53 साल का हो चुका हूं।’