दी नगर न्यूज़ श्रीडूंगरगढ़:- कस्बे की तुलसी सेवा संस्थान के महाप्रज्ञ प्रेक्षा ध्यान सभागार भवन में आयोजित योग शिविर में प्रशासक सूर्य प्रकाश गांधी ने बताया। योगा लवर्स प्रदेश अध्यक्ष योगगुरू ओम कालवा ने कस्बे वासियों को शरीर के महत्वपूर्ण आठ चक्रों के बारे में जानकारी देते हुए उनकी उपयोगिता इस प्रकार बताई 1- मूलाधर चक्र : यह चक्र मलद्वार और जननेन्द्रिय के बीच रीढ़ की हड्डी के मूल में सबसे निचले हिस्से से सम्बन्धित है। यह मनुष्य के विचारों से सम्बन्धित है। नकारात्मक विचारों से ध्यान हटाकर सकारात्मक विचार लाने का काम यहीं से शुरु होता है। 2- स्वाधिष्ठान चक्र : यह चक्र जननेद्रिय के ठीक पीछे रीढ़ में स्थित है। इसका संबंध मनुष्य के अचेतन मन से होता है। 3- मणिपूर चक्र : इसका स्थान रीढ़ की हड्डी में नाभि के ठीक पीछे होता है। हमारे शरीर की पूरी पाचन क्रिया (जठराग्नि) इसी चक्र द्वारा नियंत्रित होती है। शरीर की अधिकांश आतंरिक गतिविधियां भी इसी चक्र द्वारा नियंत्रित होती है। 4- अनाहत चक्र : यह चक्र रीढ़ की हड्डी में हृदय के दांयी ओर, सीने के बीच वाले हिस्से के ठीक पीछे मौजूद होता है। हमारे हृदय और फेफड़ों में रक्त का प्रवाह और उनकी सुरक्षा इसी चक्र द्वारा की जाती है। शरीर का पूरा नर्वस सिस्टम भी इसी अनाहत चक्र द्वारा ही नियत्रित होता है। 5- विशुद्धि चक्र : गले के गड्ढ़े के ठीक पीछे थायरॉयड व पैराथायरॉयड के पीछे रीढ की हड्डी में स्थित है। विशुद्धि चक्र शारीरिक वृद्धि, भूख-प्यास व ताप आदि को नियंत्रित करता है। 6- आज्ञा चक्र : इसका सम्बन्ध दोनों भौहों के बीच वाले हिस्से के ठीक पीछे रीढ़ की हड्डी के ऊपर स्थित पीनियल ग्रन्थि से है। यह चक्र हमारी इच्छाशक्ति व प्रवृत्ति को नियंत्रित करता है। हम जो कुछ भी जानते या सीखते हैं उस संपूर्ण ज्ञान का केंद्र यह आज्ञा चक्र ही है। 7- मनश्चक्र- मनश्चक्र (बिन्दु या ललना चक्र) : यह चक्र हाइपोथेलेमस में स्थित है। इसका कार्य हृदय से सम्बन्ध स्थापित करके मन व भावनाओं के अनुरूप विचारों, संस्कारों व मस्तिष्क में होने वाले स्रावों का आदि का निर्माण करना है, इसे हम मन या भावनाओं का स्थान भी कह सकते हैं 8 – सहस्रार चक्र : यह चक्र सभी तरह की आध्यात्मिक शक्तियों का केंद्र है। इसका सम्बन्ध मस्तिष्क व ज्ञान से है। यह चक्र पीयूष ग्रन्थि (पिट्युटरी ग्लैण्ड) से सम्बन्धित है। इन आठ चक्र (शक्तिकेन्द्रों) में स्थित शक्ति ही सम्पूर्ण शरीर को ऊर्जान्वित (एनर्जाइज), संतुलित (Balance) व क्रियाशील (Activate) करती है। इन्हीं से शारीरिक, मानसिक विकारों व रोगों को दूर कर अन्तःचेतना को जागृत करने के उपायों को ही योग कहा गया है। संस्था अध्यक्ष भीखमचंद पुगलिया मंत्री धर्मचन्द धडेवा योग एक्सपर्ट ओम कालवा का आभार व्यक्त करते हुए योग से हर व्यक्ति के जीवन में उजाला कर देने वाली उपयोगी योग चिकित्सा पद्धति बताई। इस दौरान कस्बे के गणमान्य नागरिक गिरदावर चैनाराम चौहान, पटवारी हरिराम सारण, पीएनबी बैंक के हरि प्रसाद भादू, सामाजिक कार्यकर्ता मुलचंद पालीवाल, व्यापारी नारायणचन्द डागा, श्यामसुंदर मूंधड़ा, गौ सेवक नारायण शर्मा, भेरूं जी मंदिर पुजारी सुरेंद्र कुमार मारू, समाज सेवी खीयाराम सोनी, श्रवण कुमार सोनी, मंजू चौधरी, गुड़िया नैन, दिशा तोलंबिया, हर्षिता वर्मा, विनीता मारू, डिंपल सोनी सभी ने योगाभ्यास किया।
प्रदेश अध्यक्ष योगगुरू ओम कालवा ने योग शिविर में आठ चक्रों का वर्णन करते हुए उनकी उपयोगिता बताई : गांधी
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