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हवन के बिना अधूरी है महाअष्टमी, जानें किस समय है पूजा का शुभ मुहूर्त

दी नगर न्यूज़ श्री डूंगरगढ़:- कलश स्थापना के साथ शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हुई थी. 9 दिनों तक चलने वाला यह महापर्व अब समाप्ति की तरफ है. 3 अक्टूबर को महाअष्टमी मनाई जाएगी. नवरात्रि का आठवां दिन काफी खास माना जाता है. इस दिन महागौरी की पूजा अर्चना करने के साथ कन्या पूजन भी की जाती है. इस दिन हवन करने काफी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि बिना हवन के पूजा का लाभ नहीं मिलता है. वहीं, पूजा और हवन के लिए शुभ मुहूर्त भी जानना बेहद जरूरी है

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शुभ मुहूर्त

महाअष्टमी के तिथि की शुरुआत 2 अक्टूबर 2022 को शाम 06 बजकर 47 मिनट से हो जाएगी. वहीं, इसका समापन 3 अक्टूबर 2022 को शाम 4 बजकर 37 मिनट पर है. इस दिन शोभन योग 2 अक्टूबर शाम 5 बजकर 14 मिनट से 3 अक्टूबर दोपहर 2 बजकर 21 मिनट तक रहेगा. वहीं, संधि पूजा का मुहूर्त 3 अक्टूबर शाम 4 बजकर 14 मिनट से 5 बजकर 2 मिनट तक होगा.

राहुकाल

महाअष्टमी के दिन राहुकाल सुबह 7 बजकर 33 मिनट से 11 बजकर 57 मिनट तक रहेगा. इस दिन शुभ कार्य करने से बचना चाहिए. वहीं, अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 34 मिनट से दोपहर 12 बजकर 21 मिनट तक है.

कन्या पूजन

नवरात्र के आठवें दिन महागौरी की पूजा करने शारीरिक और मानसिक समस्याओं से मुक्ति मिलती है. इसके साथ ही धन-वैभव और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है.नवरात्रि के आठवें दिन मां दुर्गा को नारियल जरूर चढ़ाएं. इसके साथ ही कन्या पूजन भी करें. इसके लिए 2 से 10 साल उम्र की कन्याओं को भोजन कराना चाहिए, साथ ही कुछ उपहार भी देना चाहिए.

हवन सामग्री

महाअष्टमी में जहां लोग कन्या पूजन करते हैं. वहीं, इस दिन हवन करना भी काफी जरूरी माना जाता है. हवन के लिए सामग्रियों की जानकारी होना भी जरूरी है. इसके लिए हवन कुंड, आम की लकड़ी, चावल, जौ, कलावा, शक्कर, गाय का घी, पान का पत्ता, काला तिल, सूखा नारियल, लौंग, इलायची, कपूर, बताशे का व्यवस्था कर लें.

हवन पूजा विधि 

सबसे पहले हवन कुंड को गंगाजल से शुद्ध करें. इसके बाद हवन कुंड के चारों तरफ कलावा बांधकर उस पर स्वास्तिक बनाकर पूजा करें. ये करने के बाद हवन कुंड पर अक्षत, फूल और चंदन अर्पित करें. इसके बाद कुंड में घी, शक्कर, चावल और कपूर डालें, फिर हवन कुंड में पूर्व, पश्चिम, उत्तर और दक्षिण दिशा की ओर 4 आम की लकड़ी रखें.

हवन कुंड में आहुति

हवन कुंड में डाली गई सामग्रियों के बीच में पान का पत्ता रखकर उस पर कपूर, लौंग, इलायची, बताशा रखें, फिर अग्नि प्रज्वलित करें, अब मंत्र बोलते हुए हवन सामग्री से अग्नि में आहुति दें. हवन पूर्ण होने के बाद कन्या पूजन करें. 

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