द नगर न्यूज़:- शरीर की बेहद अहम जरूरतों में से एक है कैल्शियम। कैल्शियम हड्डियों और दांत की मजबूती के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। साथ ही ये मांसपेशियों को संकुचित करने की क्रिया में भी मदद करता है, जिससे हार्टबीट जैसी गतिविधि सुचारू रूप से संचालित होती है। कैल्शियम सामान्य रूप से ब्लड क्लॉट होने में भी मदद करता है।
शरीर में इतने सारे जरूरी कार्य करने के कारण कैल्शियम की कमी होते ही शरीर इसके संकेत देने लगता है, क्योंकि जब डाइट से कैल्शियम की आपूर्ति नहीं हो पाती है, तो शरीर हड्डियों से कैल्शियम लेना शुरू कर देता है। इसलिए समय रहते इसकी कमी के संकेत समझना जरूरी है नहीं तो गंभीर परिणाम भी भुगतने पड़ सकते हैं। कैल्शियम की कमी होने की स्थिति को हाइपोकेल्सीमिया कहते हैं।
कैसे समझें कैल्शियम की कमी के संकेत-
- मांसपेशियों में खिंचाव और दर्द
- हाथ और पैर में नियमित रहने वाला दर्द
- किसी शारीरिक गतिविधि के बाद इस दर्द का बढ़ना
- हाथ पैर की उंगलियों में सुन्नपन और झनझनाहट का एहसास।
- ओस्टियोपिनिया और गंभीर रूप से ओस्टियोपोरोसिस की समस्या।
- दांतों में कैविटी
- ड्राई और रूखी त्वचा
- नाखून का जल्दी टूटना और धीमा विकास होना
ये भी हैं अन्य संकेत
- प्री मेंस्ट्रुअल सिम्पटम्स भी कैल्शियम की कमी के कारण आ सकते हैं। मूड स्विंग, चिड़चिड़ापन, अनावश्यक क्रेविंग, पीरियड्स के पहले, बाद या इसके दौरान तेज दर्द, बदन दर्द और थकान।
- कैल्शियम की कमी के कारण नींद भी पूरी नहीं हो पाती है। इससे स्लीप पैटर्न डिस्टर्ब होते हैं जिससे इनसोम्निया हो सकता है।
- हड्डियां कमजोर होने के कारण छोटी चोट में भी फ्रैक्चर होने की संभावना बढ़ जाती है।
- ब्रेन फॉग और याद्दाश्त कमजोर होना
कैल्शियम की कमी होने पर क्या करें
इनमें से किसी भी प्रकार के लक्षण का सामना करने पर एक साधारण से ब्लड टेस्ट से कैल्शियम की कमी की पुष्टि कर सकते हैं। इसकी कमी से निपटने में एक जरूरी बात का ध्यान देना बहुत जरूरी है कि कैल्शियम के साथ विटामिन डी भी पर्याप्त मात्रा में लेना चाहिए, क्योंकि शरीर में कैल्शियम को एब्जॉर्ब करने में विटामिन डी ही मददगार होता है और ये भी समझना बेहद महत्वपूर्ण है कि कैल्शियम की आपूर्ति मात्र दूध दही से ही नहीं होती है, बल्कि दूध, दही, घी, चीज के साथ ढेर सारे ऐसे फूड प्रोडक्ट्स हैं जो कैल्शियम के रिच सोर्स हैं, जैसे चिया सीड्स, पॉपी सीड्स, टोफू, ब्रोकली, केल, पालक, कोलार्ड, बींस, दाल, काबुली चना आदि।