द नगर न्यूज :- प्रदूषण से अपने फेफड़ों को बचाने के लिए ब्रीदिंग एक्सरसाइज करना जरूरी है। इसके लिए अनुलोम-विलोम करना काफी फायदेमंद (Anulom-Vilom Benefits) साबित हो सकता है। इसे रोज करने से न केवल फेफड़े बल्कि पूरी सेहत को लाभ मिलता है। यहां हम रोज अनुलोम-विलोम करने के फायदों के बारे में जानने की कोशिश करेंगे। आइए जानें अनुलोम-विलोम करने से आपकी सेहत में क्या बदलाव आ सकते हैं।प्रणायाम, जो एक प्रकार की ब्रीदिंग एक्सरसाइज है, हमारे फेफड़ों के लिए बेहद फायदेमंद होती है। इसे रोजाना करने से न सिर्फ हमारे फेफड़े, बल्कि हमारी पूरी सेहत को फायदा मिलता है। इसके शारीरिक और मानसिक फायदे दोनों है। यहां हम प्राणायाम के एक प्रकार अनुलोम-विलोम के फायदों के बारे में बताएंगे। आइए जानें अनुलोम-विलोम करने के फायदों के बारे में।
क्या है अनुलोम-विलोम?
अनुलोम-विलोम एक प्रकार की ब्रीदिंग एक्सरसाइज है, जिसमें, हम एक बार अपने नाक की दाहिनी तरफ से सांस लेते हैं और बाएं से छोड़ते हैं। इसके बाद इसी प्रक्रिया को दोहराएं। यह एक आसान प्रक्रिया लग सकती है, लेकिन लंबे समय में इसके फायदे अनेक हैं। यह प्राणायाम दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए काफी फायदेमंद है।
रोजाना अनुलोम-विलोम करने के फायदे
तनाव और चिंता कम होते हैं-
अनुलोम-विलोम तनाव के हार्मोन कोर्टिसोल के लेवल को कम करने में मदद करता है और शरीर में ऑक्सीजन के प्रवाह को बढ़ाता है, जिससे शांत और रिलैक्स महसूस होता है।
बेहतर नींद-
यह प्राणायाम ब्रीदिंग को नियमित करके नींद की गुणवत्ता में सुधार करता है। यह अनिद्रा और नींद न आने की समस्याओं से राहत दिलाता है।
ब्लड प्रेशर नियंत्रण-
अनुलोम-विलोम ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में मदद करता है और हाई बीपी से जुड़े जोखिमों को कम करता है।
पाचन में सुधार-
यह प्राणायाम पाचन तंत्र को एक्टिव करता है और कब्ज, एसिडिटी और अपच जैसी समस्याओं को दूर करता है।
इम्युनिटी को बढ़ावा-
अनुलोम-विलोम इम्यून सिस्टम को मजबूत करके इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है।
फोकस और मेमोरी में सुधार-
यह प्रैक्टिस मन को शांत करता है और फोकस करने की क्षमता और याददाश्त को बढ़ाता है।
सिरदर्द और माइग्रेन में राहत-
अनुलोम-विलोम तनाव से संबंधित सिरदर्द और माइग्रेन में राहत दिलाता है।
एनर्जी का स्तर बढ़ाता है-
यह प्राणायाम शरीर में एनर्जी के प्रवाह को बढ़ाकर थकान और सुस्ती को कम करता है।
दमा और अस्थमा में लाभकारी-
अनुलोम-विलोम सांस के रास्ते को खोलकर दमा और अस्थमा के लक्षणों को कम करता है।
मन की शांति-
नियमित अभ्यास से मन की शांति और भावनात्मक संतुलन मिलता है।
अनुलोम-विलोम कैसे करते हैं?
एक आरामदायक मुद्रा में बैठें और अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें।
अपनी दाहिनी नाक का नथुना (Nosetril) अंगूठे से बंद करें और बाएं नथुने से गहरी सांस लें।
बाएं नथुने को बंद करें और दाहिने नथुने से धीरे-धीरे सांस छोड़ें।
अब दाहिने नथुने से सांस लें और बाएं नथुने से छोड़ें।
इसी तरह बारी-बारी से दोनों नथुनों से सांस लेते रहें।
कब और कितनी देर तक करना चाहिए अनुलोम-विलोम?
अनुलोम-विलोम को दिन में दो बार, सुबह खाली पेट और शाम को सोने से पहले किया जा सकता है। आप 5-10 मिनट से शुरू कर सकते हैं और धीरे-धीरे समय बढ़ा सकते हैं।
किन लोगों को नहीं करना चाहिए अनुलोम-विलोम?
दिल की बीमारियां, हाई ब्लड प्रेशर या किसी अन्य गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को अनुलोम-विलोम करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए।