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राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं सूची में शामिल करने की मांग फिर पकड़ने लगी जोर, बन रही आंदोलन की रणनीति, पढ़े पूरी खबर

दी नगर न्यूज़ श्रीडूंगरगढ़:- राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किए जाने को लेकर लंबे समय से संघर्ष लगातार जारी है. राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति ने इस मांग को लेकर सड़कों पर विरोध प्रदर्शन किए. राष्ट्रपति के नाम पत्र भी सौंपे, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई. अब एक बार फिर राजस्थानी भाषा को मान्यता दिए जाने की मांग उठ रही है.

करोड़ों लोगों की भावनाओं का अपमान

राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के अजमेर जिला अध्यक्ष गणपत सिंह मुग्धेश ने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में जोड़ने के लिए राजस्थान विधानसभा ने 25 अगस्त 2003 को सर्व सम्मति से संकल्प प्रस्ताव पास करके केंद्र सरकार के पास भेज दिया था, जो आज तक लंबित है. केंद्र सरकार में राजस्थान के 25 में 24 सांसद भाजपा से होने के बावजूद राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है. हजारों बैठकें, गोष्ठियां, सम्मेलन, धरना, प्रदर्शन, रैलियां, सत्याग्रह जैसे आंदोलन किए जाने के बावजूद केंद्र सरकार 12 करोड़ राजस्थानियों की मांग अनसुनी कर रही है. सरकार ने राजस्थानी को मान्यता नहीं देकर प्रदेश के करोड़ों लोगों की जन भावनाओं का अपमान किया है.

भाजपा सांसदों की नहीं हो रही सुनवाई

मुग्धेश ने बताया कि 6 मई 2015 को नई दिल्ली के जंतर मंतर पर राजस्थान के सभी 33 जिलों के प्रतिनिधियों, भारत के अन्य प्रांत एवं भारत के बाहर बसने वाले प्रवासी राजस्थानियों सहित करीब 10 हजार लोगों ने धरना दिया था. तत्कालीन बीकानेर सांसद एवं वर्तमान केंद्रीय मंत्री अर्जुनलाल मेघवाल, जोधपुर सांसद एवं वर्तमान केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत, कोटा सांसद एवं वर्तमान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला तथा राजस्थान के पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी भी उस धरने में शामिल हुए थे. वर्तमान में लोकसभा के 25 सदस्यों में से 24 सदस्य भाजपा के हैं. इसके बावजूद नरेंद्र मोदी सरकार राजस्थानियों की मांग पर सुनवाई नहीं कर रही है.

विदेश में भी लोकप्रिय है राजस्थानी भाषा

अमेरिका की लाइब्रेरी ऑफ कांग्रेस ने राजस्थानी को विश्व की समृद्धतम 13 भाषाओं में से एक मानते हुए पद्मश्री कन्हैयालाल सेठिया की 75 मिनट की रिकॉर्डिंग संग्रह में रखी है. शिकागो विश्वविद्यालय में दक्षिण एशियाई भाषा विभाग में राजस्थानी एक विषय के रूप में पढ़ाई जा रही है. पाकिस्तान में राजस्थानी कायदो नाम से व्याकरण चलती है.

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